महिला सशक्तिकरण के बारे में जानने से पहले आपको ये पता होना चाहिए कि सशक्तिकरण क्या है तो सशक्तिकरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता हैं जिसमें वो अपने जीवन के सभी प्रकार के निर्णय स्वंम ले सकता हैं उसमें निर्णय लेने की योग्यता आ जाती हैं।
महिला सशक्तिकरण भी वही क्षमता हैं जहाँ पर महिलाएं अपने निर्णय स्वंय ले सकती हैं अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले के लिए महिलाओं को अधिकार देने ही महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) कहलाता हैं।
महिला सशक्तिकरण का मतलब महिलाओं को उनकी शक्ति, उनकी ताकत और उनकी योग्यता के विषय में बताना है जिससे की वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय ले सके। 8 मार्च को अंतराष्टरीय महिला दीवस मनाया जाता है। हर व्यक्ति को खुद से जुड़े हुए फैसले लेने की आजादी होती है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को ऐसी शक्ति देता है जिससे वो समाज में सही स्थान बना सके।
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आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय बना हुआ हैं महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय सम्पति और दूसरी वस्तुओं की उपलब्धता से हैं इन सभी सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊँचा उठा सकती हैं।
भारत एक प्रसिद्ध देश है जो प्राचीन समय से ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिये जाना जाता है। जबकि दूसरी ओर, ये अपने पुरुषवादी राष्ट्र के रुप में भी जाना जाता है।
भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है हालाँकि समाज और परिवार में उनके साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है। वो घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहती है और उनको सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारीयों के लिये समझा जाता है। उन्हे अपने अधिकारों और विकास से बिल्कुल अनभिज्ञ रखा जाता है। भारत के लोग इस देश को माँ का दर्जा देते है लेकिन माँ के असली अर्थ को कोई नहीं समझता ये हम सभी भारतीयों की माँ है और हमें इसकी रक्षा और ध्यान रखना चाहिये।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना जब महिलाएं खुद पर निर्भर रहेगी तभी उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा महिलाओं के लिए शिक्षा, रोजगार और आर्थिक तरक्की के बराबरी मौके मिल रहे हैं जिससे महिलाएं सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सकें
आज की महिलाओं का काम केवल घर-गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं है, वे अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज करा रही हैं। बिजनेस हो या पारिवार महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वे हर वह काम करके दिखा सकती हैं जो पुरुष समझते हैं कि वहां केवल उनका ही वर्चस्व है, अधिकार है।
प्राचीन काल में भारतीय महिलाएं बहुत से महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर रह चुकी हैं लेकिन मध्यकाल में भारतीय महिलाए आज भी अपने घरों में रहने के लिए मजबूर है उन्हें महिलाओं को सामान्य स्वास्थ्य की सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में सामान्य ग्रामीण महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे हैं भारत देश में पुरुषों की शिक्षा दर 81.3% हैं जबकि महिलाओं की शिक्षा दर सिर्फ 60.6% हैं हमारे देश में ऐसे बहुत से गाँव हैं जहाँ पर महिलाओं को पढ़ने की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं यदि गाँव में उनका दाखला हो भी जाता हैं तो कुछ कक्षा पढ़ने के बाद वो अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं।
भारत के शहरी क्षेत्रों की महिलाएं रोजगारशील हैं क्योंकि शहरों की जनसंख्या ज्यादा होती हैं जिसकी वजह से सभी को job मिलना मुश्किल की बात हैं शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की अपेक्षा अधिक रोजगार शील हैं यदि आंकड़ों के अनुसार देखे तो शहरी क्षेत्रों की 30 प्रतिशत व्यक्ति कार्यरत हैं और ग्रामीण क्षेत्रों की 90 प्रतिशत महिलाएं खेती किसानी करने में कार्यरत हैं।
हमारा भारतीय समाज एक अलग तरह का समाज हैं जिसमें कई तरह के रीति-रिवाज, मान्यताएं और परंपराए शामिल हैं बहुत बार ऐसा होता हैं कि जो हमारी पुरानी परंपराए भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए कठिनाईया होती हैं महिलाओं के जीवन में आने वाली कठिनायों के बारे में नीचे कुछ बिंदु के बारे में बताया गया हैं।
भारत में आज भी गाँव में पुरानी और रूढ़िवादी विचारधाराओं चल रही हैं जिसकी वजह से महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर रोक लगाई जाती हैं जिसके कारण महिलाएं शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती और बेरोजगार रहती हैं महिलाओं को शिक्षा और रोजगार प्राप्त करने के लिए घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं होती हैं ऐसे वातावरण में रहने के कारण महिलाएं अपने आप को पुरुषों से कम समझती हैं।
शोषण किसी भी प्रकार का हो उसके मुख्य कारण अधिक विश्वास या अन्धविश्वास, असावधानी, लाचारी अथवा किसी प्रकार की कमजोरी का होना है जीवन में विश्वास करना आवश्यक है क्योंकि सम्बन्ध विश्वास की नींव पर ही टिके होते हैं परन्तु जब विश्वास अधिक बढ़ जाता है तो वह अन्धविश्वास बन जाता है तथा अंधेपन का सभी लाभ उठाते हैं अपना हो या पराया विश्वास करना श्रेष्ठ है परन्तु सावधानी की मर्यादा में रहकर ही विश्वास श्रेष्ठ होता है अन्यथा विश्वास का विश्वासघात बन जाता है कितना भी प्रिय सम्बन्ध हो असावधानी हानिकारक होती है क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी अटूट सत्य है ।
जैसे:- सेवा उघोग, साफ्टवेयर उघोग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या में सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं
भारत सरकार ने काफी हद तक बाल विवाह काफी कम कर दिया हैं लेकिन 2018 के अनुसार भारत मे अभी भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल के पहले कर दी हैं छोटी उम्र में शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता हैं और वो महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से वयस्क नहीं हो पाती हैं।
बाल विवाह होने से लड़की की जिंदगी ही खराब हो जाती हैं ना वो अच्छे से पढ़ लिख पाती हैं ना वयस्क हो पाती हैं वैसे तो government ने बाल विवाह पर रोक लगा दी हैं लेकिन आज भी ऐसे बहुत से गाँव हैं जहाँ बाल विवाह हो रहे हैं लड़कियों को पढ़ने की उम्र में शादी के बंधन में बाध दिया जाता हैं।
भारत देश में महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम भुगतान दिया जाता हैं महिला पुरुषों ने एक साथ शिक्षा ग्रहण की और एक साथ एक जैसा काम भी करते हो लेकिन महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम payment दी जाती हैं।
यदि महिलाएं पुरुषों की बराबरी का काम भी करें फिर भी महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम भुगतान ही दिया जाता हैं लेकिन ये गलत हैं जब समानता का अधिकार प्राप्त है तो ऐसा क्यों होता हैं सभी को समान भुगतान मिलना चाहिए।
आज के समय में भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो लड़का लड़की के बीच बहुत ही भेदभाव करते हैं बहुत से गाँव मे अभी भी लड़कियों को पढ़ाने और बाहर नौकरी करने की अनुमति नहीं हैं ना ही उनके घर वाले बाहर जाने की इजाजत देते हैं।
महिलाएं किसी कारणवंश अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं जो महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं हैं शहरी क्षेत्रों की महिलाएं लड़को की अपेक्षा शिक्षा के क्षेत्र में बराबर ही हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पीछे हैं।
हमारे भारत देश में महिला शिक्षा दर 64.6 प्रतिशत हैं जबकि पुरुषों की शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत हैं भारत देश मे ऐसे बहुत से गाँव हैं जिनकी लड़कियां स्कूल तो जाती हैं लेकिन बीच मे पढ़ाई छोड़ देती हैं कोई घर के काम की वजह से पढ़ाई छोड़ती हैं तो किसी की कम उम्र में शादी कर दी जाती हैं।
हमारे देश में महिलाओं के विरुद्ध हर रोज अपराध हो रहे हैं हमे हर रोज दहेज प्रथा, हॉनर किलिंग और अपमान तिरस्कार जैसे गम्भीर अपराध रोज देखने को मिल रहे हैं दहेज के लिए तो महिलाओं को जिंदा जला दिया जाता हैं यदि किसी भी लड़की को शादी के दौरान दहेज नहीं मिलता हैं या कम दहेज मिलता हैं तो उसके ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते रहते हैं जो महिलाओं के लिए बहुत बड़ी परेशानी हैं।
कन्या भ्रूणहत्या महिला सशक्तिकरण के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं कन्या भ्रूणहत्या का अर्थ ये हैं कि यदि पता चल जाता हैं कन्या का जन्म होने वाला हैं उसके जन्म लेने से पहले ही उसकी भूर्ण में ही हत्या कर दी जाती हैं।
कन्याभ्रूण हत्या होने के कारण ही हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में महिला लिंगानुपात में काफी कमी आई हैं पुरुषों और स्त्री के लिंगानुपात में काफी अंतर आया हैं ।
महिला सशक्तिकरण पर इंग्लिश में भाषण: Speech on women empowerment in English
भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। इनमें से कई सारी योजनाएं रोजगार, कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों के लिए चलायीं जाती है। इन योजनाएं का गठन भारतीय महिलाओं के परिस्थिति को देखते हुए किया गया है ताकि समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएं मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए चलायी जाने वाली योजना) आदि हैं।
महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।
यह योजना कन्या भ्रूणहत्या और कन्या शिक्षा को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। इसके अंतर्गत लड़कियों के बेहतरी के लिए योजना बनाकर और उन्हें आर्थिक सहायता देकर लोगों के सोच को बदलने का कार्य किया जा रहा है।
इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को 24 घंटे इमरजेंसी सहायता सेवा प्रदान की जाती है, महिलाएं अपने विरुद्ध होने वाली किसी तरह की भी हिंसा या अपराध की शिकायत इस नंबर पर कर सकती है। इस योजना के तरत पूरे देश भर में 181 नंबर को डायल करके महिलाएं अपनी शिकायतें दर्ज करा सकती है।
यह योजना समुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत छात्रों और पेशेवर व्यक्तियों जैसे सामुदायिक स्वयंसेवक ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते है।
स्टेप योजना के अंतर्गत महिलाओं के कौशल को निखारने का कार्य किया जाता है ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके या फिर वह स्वंय का रोजगार शुरु कर सके। इस कार्यक्रम के अंतर्घत कई सारे क्षेत्रों के कार्य जैसे कि कृषि, बागवानी, हथकरघा, सिलाई और मछलीपालन आदि के विषयों में महिलाओं को शिक्षित किया जाता है।
उज्ज्वला योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 1 मई 2016 को की गई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को गैस सिलेंडर वितरित किए हैं करीब 5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को सरकार गैस सिलेंडर वितरित कर चुकी हैं महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए 8000 करोड़ रुपए की पूंजी को मंजूरी दी गई हैं।
2009 में भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज संस्थानों में 50 फीसदी महिला आरक्षण की घोषणा की, सरकार के इस कार्य के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सामाजिक स्तर को सुधारने का प्रयास किया गया। जिसके द्वारा बिहार, झारखंड, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के साथ ही दूसरे अन्य प्रदेशों में भी भारी मात्रा में महिलाएं ग्राम पंचायत अध्यक्ष चुनी गयीं।
इस योजना को 2001-02 में शुरू किया गया था इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से चलाया जा रहा हैं इस योजना का मुख्य उद्देश्य तस्करी से पीड़ित महिलाओं, विधवाओं, वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, रिहा कैदी महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मानसिक रूप से विकलांग और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है।
जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।
भले ही आज के समाज में कई भारतीय महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर, वकील आदि बन चुकी हो लेकिन फिर भी काफी सारी महिलाओं को आज भी सहयोग और सहायता की आवश्यकता है।
उन्हें शिक्षा, और आजादीपूर्वक कार्य करने, सुरक्षित यात्रा, सुरक्षित कार्य और सामाजिक आजादी में अभी भी और सहयोग की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण का यह कार्य काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति उसके महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर ही निर्भर करती है।
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