प्राचीन काल से ही हमारे देश में महिलाओं को आदर भाव की द्रष्टि से देखा गया है तथा आज भी हमारे समाज में महिलाओं को एक विशेष दर्जा प्राप्त है संविधान द्वारा भी महिलाओं को विशेष स्तर दिया गया है तथा महिलाओं को पुरूषों के समान लाने हेतु विभिन्न अधिनियम व कार्यक्रम चलाये गये हैं जिससे महिला और पुरुषों के बीच होने वाले भेदभाव को हटाया जा सके और वे अपना विकास स्वयं करने के लिए संक्षम हैं।
हमारे समाज के विकास का सीधा सम्बन्ध उस समाज की महिलाओं के विकास से जुड़ा होता है महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति, परिवार और समाज के विकास की कल्पना भी नही की जा सकती है महिलाओं के विकास के लिए सरकार ने कुछ योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना आदि की शुरुआत की है तो चलिए विस्तार पूर्वक पढ़ते हैं।
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22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के गिरते लिंगानुपात को देख कर लोगो को जागरूक करना था क्योंकि यदि बेटियों का बचाव नहीं किया गया तो ये देश आगे नहीं बढ़ सकता जनसंख्या को बढ़ाने में बेटियों का ही हाथ हैं इसलिए यदि बेटी नहीं बचाओगे तो बहु कहाँ से लाओगे और अपनी पीढ़ी कैसे बढ़ाओगे इसलिए बेटी बचाओ ओर बेटी पढ़ाओ और देश को जागरूक बनाओ।
उज्ज्वला योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 1 मई 2016 को की गई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को गैस सिलेंडर वितरित किए हैं करीब 5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को सरकार गैस सिलेंडर वितरित कर चुकी हैं महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए 8000 करोड़ रुपए की पूंजी को मंजूरी दी गई हैं।
1 अप्रैल 2011 को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी इस कार्यक्रम को महिलाओं एवं बाल विकास की देखरेख में चलाया जा रहा हैं इस योजना के तहत भारत देश ने 200 जिलों से 11 से 18 साल की महिलाओं की देखभाल बाल विकास परियोजना के अंतर्गत की जा रही हैं।
योजना का लाभ उठाने वाली महिलाओं को 11 से 15 साल की लड़कियों को पका हुआ भोजन दिया जाता हैं जबकि 15 से 18 साल की लड़कियों को आयरन की गोलियों सहित अन्य दवाइयां मिलती हैं इसे दो समूहों में विभाजित किया गया हैं।
28 अक्टूबर 2010 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 19 साल या उससे भी अधिक उम्र की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो बच्चों के जन्म होने पर वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
इस कार्यक्रम के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को शिशु पैदा होने पर 6000 रुपए की राशि दो किस्तों में प्रदान की जाती हैं जिससे माता और बच्चे की अच्छे से देखभाल की जा सकें।
कस्तूरबा गांधी बालिका विघालय योजना का शुभारंभ 2004 में किया गया था वर्ष 2004 से ये योजना सभी पिछले क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही हैं जहां पर ग्रामीण महिला साक्षात्कार की दर काफी कम हो।
इस योजना के तहत गरीबी रेखा में आने वाली महिलाओं का दाखिला करवाना हैं इस योजना में केंद सरकार 75 प्रतिशत व राज्य सरकार 25 प्रतिशत खर्च का योगदान करेंगे।
इस योजना को 2001-02 में शुरू किया गया था इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से चलाया जा रहा हैं इस योजना का मुख्य उद्देश्य तस्करी से पीड़ित महिलाओं, विधवाओं, वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, रिहा कैदी महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मानसिक रूप से विकलांग और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है।
इस योजना के माध्यम से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक मजबूती प्रदान की जाती हैं जिससे वे अपना जीवन फिर से शुरु करके अपने पैरों पर खड़ी हो सके इस योजना में विधवा महिलाओं के लिए भोजन और आश्रय, तलाक शुदा के लिए कानूनी परामर्श ओर सभी प्रकार की चिकित्सा संबंधी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
सरकार ने महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम की शुरुआत की हैं इसकी शुरुआत 1986-87 में एक केंद्रीय योजना के रूप में की गयी हैं इस योजना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा चलाया जा रहा हैं।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं का कौशल विकास जैसे कंप्यूटर कोर्स, सिलाई बुनाई, ब्यूटी पार्लर आदि कोर्स सिखाकर उनको इस लायक बनाना की वो खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और अपना पालन स्वंम कर सकें।
महिला ई हाट योजना का मुख्य फोकस घर में रहने वाली महिलाओं पर किया गया हैं जो महिलाएं घर पर काम करके अपने जीवन गुजार देती थी उनके लिए ये योजना काफी लाभदायक है क्योंकि आप अपने हुनर को दुनिया के सामने ला सकते हो और अपने हुनर के जरिए कमाई भी कर सकते हो मंत्रालय ने इस योजना का नाम महिला ई- हाट इस योजना के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक मंच तैयार किया हैं।
नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार हैं। इस स्कीम की स्थापना 1999 में की गईं। केंद्र सरकार ने भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और संस्थानों द्वारा किए गए सेवा कार्य को मान्यता प्रदान करने हेतु नारी शक्ति पुरस्कार की स्थापना की। यह पुरस्कार महिलाओं और संस्थाओं द्वारा महिलाओं, विशेष रुप से कमजोर और पीढि़त महिलाओं के लिए जो अच्छा काम करते हैं या ऐसी महिलाएं अपने हालात से बाहर आकर कुछ अलग करती हैं उन्हें नगद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है
यह योजना 1 अप्रैल 2015 को ‘निर्भया’ फंड के साथ लागू की गई थी। यह योजना भारत के विभिन्न शहरों के अलग-अलग क्षेत्रों में चलाई जा रही है। जिसके अंतर्गत यह योजना उन महिलाओं को शरण देती हैं जो किसी प्रकार की हिंसा का शिकार होती है। इसके तहत पुलिस डेस्क, कानूनी, चिकित्सा और परामर्श सेवाएं देने का काम किया जाता है। इस योजना के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 181 है यदि महिलाओ को कभी भी किसी भी प्रकार की जरुरत पड़ती हैं तो 181 पर कॉल करने से आपको मदद जरूर मिलेगी
महिला शक्ति केंद्र योजना 2017 में संचालित की गई थी ये योजना महिलाओं के सरंक्षण और सशक्तिकरण के लिए उंब्रेला स्कीम मिशन के तहत महिला एवं बाल विकास द्वारा इस योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाने और उनकी क्षमता का अनुभव कराने का काम किया जाता है। यह योजना राष्ट्र स्तर, राज्य स्तर और जिला स्तर पर काम करती है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य ये है कि काम करने करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास असानी से उपलब्ध कराना हैं जहां पर उनके बच्चों के देखभाल की सुविधा और जरुरत की हर चीज आसपास उपलब्ध हो। यह योजना शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण सभी जगह पर उपलब्ध है जहां पर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर मौजूद हैं।
इस आर्टिकल में लिखी योजनाओं को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि हमारी सरकार महिलाओं के विकास के लिए हर तरह का प्रयास काफी लम्बे समय से करती आ रही हैं इसी कारण से आज समाज मे महिलाओं की भूमिकाओं में काफी बदलाव भी नजर आ रहे हैं यदि आपको हमारे द्वारा लिखी हुई योजनाएं पसंद आई हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना ना भूलिए धन्यवाद।
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